संदेश
डर हमें भी लगता सन्नाटों से - कविता - सीमा शर्मा 'तमन्ना'
डर तो हमें भी बहुत लगता था, रास्तों के उन सन्नाटों से। मगर यह तय था कि हर हाल, हमें सफ़र पर जाना ही होगा। याद होगा उसे भी गुज़रे थे, जो…
सफलता क्या है? सफलता के नियम
सफलता हर व्यक्ति के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह शब्द अपने आप में बहुत व्यापक और बहुमुखी है। सफलता की परिभाषा हर व्यक्त…
मेघ, सावन और ईश्वर - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | सावन पर दोहे
बरसी सावन की घटा, गरजे मेघ प्रचण्ड। ईश्वर शिव पूजन जगत, भारत बने अखण्ड॥ सती नाथ झूला झुले, सावन पावस मास। भूत प्रेत नंदी स्वजन, ना…
सावन - कविता - सुनीता प्रशांत
ये कौन उत्सव आया सखी री मन क्यों कर मुसकाया सखी री मेघ गरज कर मृदंग बजाते मधुकर मधुर तान सुनाते फूल ये क्यूँ सकुचाया सखी री ये कौ…
मार्कण्डेय महादेव मंदिर - लेख - वारीन्द्र पाण्डेय
शिव की अगाध श्रद्धा का केंद्र हैं मार्कण्डेय महादेव मंदिर , यहाँ मिलता है पुत्र कामना की पूर्ति का आशीर्वाद। सावन भर लगता है भक्तों का…
सुना है सपने सच होते हैं - कविता - श्याम नन्दन पाण्डेय
मन की तरंगे बढ़ने दो मन पतंग सा उड़ने दो पंख तेरे अब खुलने दो भ्रम की दीवारें गिरने दो नैनो में सपने पलने दो सिंचित-पोषित बीज अंकुरित हो…
क्या मैं तुम्हें उपहार में दूँ - कविता - राघवेंद्र सिंह
हे सृजन की वल्लभा! हे प्रीत की परिचायिका! हूँ आज करता मैं नमन, हे काँति शोभित नायिका! तुम शून्य से संवाद हो, तुम ही मेरी दिग्दर्शिका। …
तुम में और मुझ में कौन है बेहतर? - कविता - बिंदेश कुमार झा
तुम में और मुझ में कौन है बेहतर ऊँची पर्वतों की चोटी यह धरती का लघु कण, राजकुमार का शयन कक्ष या योद्धाओं का रण? तुम में और मुझ में कौन…
ओह गिरधर! मुरली वाले - गीत - महेश कुमार हरियाणवी
तुम्हें नित नए रंग में पूजें, सब रूप-रूप से निराले। ओह! गिरधर मुरली वाले, मेरे गिरधर मुरली वाले। तेज़ ने तेरे विश्व हिलाया, देव, गुरु, …
हौसलों की उड़ान - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
दर्द की आग में तपकर बनें हैं हम, हर मुश्किल से लड़कर बनें हैं हम। हौसले की उड़ान है अभी बाक़ी, मंज़िलें हासिल कर दिखाएँगे हम। हैं ख़ारों…
मेरी हार ही मेरी असली ताक़त है - कविता - तेज नारायण राय
मेरी हार जब मेरे गाल पर तमाचा बनकर लगती है तब बेशक तिलमिला उठता हूँ मैं लेकिन धैर्य नहीं खोता कभी गिर जाता हूँ सोच की गहरी खाई में …
पुण्य भाग्य आगम अतिथि - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
अतिथि देवता तुल्य है, चिर पूजित संसार। मान दान सेवा नमन, ईश्वर का अवतार॥ अतिथि गेह आगम सुखद, पावन मिलन सुयोग। कुशल क्षेम चर्चा विवि…
पत्नी की मृत्यु पर - कविता - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
खो दिया एक मंत्राणी मातृत्व का स्वरूप शिव सा विषपान कर जिओ और जीने दो की परिभाषा परीक्षा की घड़ी में परिवार को जोड़ने का सूत्र सिखा गई…
हैं बहुत नाज़ुक रिश्ते - कविता - सीमा शर्मा 'तमन्ना'
भाव अनन्त भर भीतर मन के ज़ुबान पर मिठास रखा कीजिए। हैं रिश्ते ये ज़रा नाज़ुक हुज़ूर! इस तरह इन्हें बचाकर रखा कीजिए॥ ये नहीं जेबों में र…
धुआँ-धुँध - कविता - आनंद त्रिपाठी 'आतुर'
धुआँ-धुँध हर तरफ़ बढ़ रहा छाया है अँधियारा, उठो कवि एक सृजन करो अब लिख दो तुम एक नारा। भारत की जलवायु लिखो तुम नदियों का परिवर्तन लिख द…
अरे! मतवाले कौन तुम - कविता - नंदनी खरे 'प्रियतमा'
अरे! मतवाले कौन तुम दिल छूने वाले कौन तुम कितना कुछ सुनना है तुमसे कहाँ बैठे हो मौन तुम सालों की बातें जोड़ी है सालों से सपने जोड़े है क…
कठपुतली - कविता - अजय कुमार 'अजेय'
अंग-अंग पर बाँधे धागे, तभी हिले जब हिलते तागे। कठपुतली है नाम कहाई, मन को सबके भाती ताई। कभी प्रसन्न कभी यह रूठी, लोककला प्रतिमान अनूठ…
पेड़ की व्यथा - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
पेड़ की व्यथा, आँसुओं की कथा। यह कुछ पीली मशीनें, यह कुछ आरी सी कीलें। रस्सी के फंदे, जमघट मज़दूरों का, पेड़ अकेला थर्रा पड़ा। काटने वा…
प्रिय तुम कुछ बोलो - कविता - सुनीता प्रशांत
प्रिय तुम कुछ बोलो झोली शब्दों की खोलो थाम लूँगी उन शब्दों को सजा लूँगी माथे पर सहेजूँगी जीवन भर समेट लूँगी उन्हें मन में फैला द…
अनकही बातें - कविता - प्रवीन 'पथिक'
कभी कभी जीवन में भी कुछ ऐसा क्षण आता है, दर्द सिसकता है भीतर, मुस्कान दिखाया जाता है। मन की मायूसी का जब, चीत्कार उठता है उर में, चैन…
जय शिव शंकर - कविता - रजनीश तिवारी
जय बोलो जय जय शिव शंकर रूद्र महादेव बम बम हर हर जय बोलो जय जय शिव शंकर है जगत में सबसे निराला मेरा बाबा भोला भाला पहने देखो सर्पो…
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