संदेश
हिंदी की महिमा - कविता - शरद कुमार शिववेदी
हिंदी है भारत की शान, हिंदी से है देश की पहचान। हिंदी है राष्ट्रभाषा प्रथम स्थान, हिंदी ने भर दी संविधान में जान॥ हिंदी है तिरंगे की प…
माँ भाषा हिंदी - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव | हिन्दी दिवस पर कविता
हिंदी है वो ममता की छाँव, जो हर दिल में बसती है, आँगन की वो मीठी बोली, जो होठों पर सजती है। गंगा सी निर्मल, सरल, हर पग में अपनापन, संस…
नव हिन्दी नव सर्जना - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | हिंदी दिवस पर दोहे
माथे की बिंदी वतन, हिंदी है अविराम। हिन्दीमय सारे जहाँ, भारत है सुखधाम॥ प्रमुदित है संस्कृत सुता, पुण्य दिवस पर आज। हिन्दी हिन्दुस्…
अधरंगी बूँद - रेखाचित्र - विशाल कपूर 'पोपाई'
नमस्ते जी! वैसे तो मैं यहाँ पर नमस्ते की जगह वाहेगुरु जी, अस्सलामु अलैकुम, या गुड इवनिंग भी बोल सकती थी। पर आज अगर मैं बोल पा रही हूँ …
मैं स्त्री हूँ - कविता - प्राची अग्रवाल
जानती हूँ मैं अपनी मर्यादा हर वक्त मुझे मत टोको। मर्यादा लाँघने वाली स्त्रियाँ अलग होती है। मुझे उनके साथ मत तोलो। भाषा हूँ मैं मौन की…
कवि होना - कविता - विनय विश्वा
दुनिया का सबसे बड़ा दुःख कवि होना है वह सबका दुःख ओढ़ लेता है सबके सुख की कामना करता है रचना में एक कुशल कारीगर संसार को शब्दों के रंग…
कुछ भाव थे कुछ बनावट - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
कुछ भाव थे कुछ बनावट, शब्दों में थी हृदय की आहट। उनकी इनकी गिनी थी पीड़ा, दूजों के लिए थी यह क्रीड़ा। दर्ज़ की पंक्तियों में वह अकुलाह…
अभिलाषा - कविता - मयंक द्विवेदी
हृदय, तुम्ही बतला दो क्या यही तुम्हारी अभिलाषा है? क्यों नन्ही कोमल सी कलियों से मन को काँटों का संग भाया है? हृदय, तुम्ही बतला दो क्य…
कमल का फूल - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
फूलों का सरताज कमल यह, सरसिज सुन्दर चंद्रहार है। पंकिल पंकज मुख सरोज सम, पद्मासन राजीव नयन हैं। पुण्डरीकाक्ष पुण्डरीक सरसि, प्रजापति ज…
कौन जीता है, कौन मरता है - कविता - बिंदेश कुमार झा
अनंत नभ के नीचे, अपनी गति से चलता है, निरंतर असफल प्रयास से जो नहीं ठहरता है। जो अश्रु नहीं, लहु पीता है, वही जीता है। जो नभ को कण समझ…
ख़ुशियों से ग़म तक - कविता - अलका ओझा
ख़ुशियों की भी एक सीमा होती है अधिक प्रसन्न होने का क़र्ज़ अधिक दुःख पाकर चुकाना पड़ता है न जाने क्या है कि मुझे आश्चर्य नहीं होता मैंने…
श्री गणेश - कविता - नीलम सरोज 'खुशबू'
हे जगवन्दन, गौरी नन्दन, प्रथम पूज्य हो तुम दुख भंजन। एकदन्त हो तुम अष्टविनायक, कृपा करहुँ प्रभु हे,गणनायक। माँ उमा के आँख के तारे, भक्…
अथक परिश्रम - कविता - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
माता-पिता की आज्ञा और उनका अनुसरण पुत्र का अन्तिम धर्म, दुःख, संघर्ष, अकिंचन जीवन दीवार बन खड़े हो जाते हैं किन्तु धैर्य से तोड़ो दीवा…
हे सिद्धिविनायक - कविता - रजनीश तिवारी 'अनपढ़ माशूक़'
हे सिद्धिविनायक मंगलमूर्ति शंकर सुवन गणेश महिमा का गुणगान करें तेरे ब्रह्मा विष्णु महेश हे सिद्धिविनायक मंगलमूर्ति शंकर सुवन गणेश प्रथ…
प्रेम स्मृति - कविता - सूर्य प्रकाश शर्मा
मेरी स्मृतियों में हो तुम, मैं तुम्हें भुला दूँगा कैसे? अपनी यादों की तिलांजलि, बोलो आख़िर दूँगा कैसे? जो साथ तुम्हारे बीते थे, वो पल अ…
निशा - कविता - मयंक द्विवेदी
चाँद की चंचल किरणों में ये रैन कुछ नया बुन रही समझो मन्द-मन्द ही सही पर ये रात आगे बढ़ रही। रैन में सब थमा पर धड़कने तो चल रही कुछ आस …
तू कुछ तो बोल - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
तू कुछ तो बोल, तू जहाँ है वहीं से बोल। तेरा लहज़ा संशोध का हो, सारी स्थिति के बोध का हो। कह मूल्यवान, व्यर्थ न मुँह खोल। कलाकार है कला …
श्री कृष्ण वंदना - कविता - आर॰ सी॰ यादव
हे मधुसूदन हे बनवारी, जन-जन के हितकारी। हे योगेश्वर श्रीकृष्ण प्रभु, बाधा हरो हमारी॥ मनहर मोर मुकुट सिर शोभित, मुरली की धुन प्यारी। पा…
राधेय - कविता - सिद्धार्थ गोरखपुरी
आइ गई रुत पावन-भावन, जन्म लिए जिस रोज़ कन्हाई। बादर देखि हिय हरषि गयो जब, करुणानिधि ने करुणा बरसाई॥ किशोरी के मन को भाइ गए, ऐसे सुंदर च…
राम - कविता - शाहरुख खान
रहे ज्ञात सभी को, लिया था संकल्प हम घर घर दीप जलाएँगे जब राम लाला घर आएँगे अवध की माटी से लेकर हिंद के जल के कण-कण तक सब नास्वर मोह मा…
कृष्ण - कविता - सुनीता प्रशांत
कृष्ण तो बस कृष्ण थे सुंदर चितवन नंद नंदन थे बालक थे तो जैसे चंचल मन युवा वस्था जैसे वसुंधरा वसन स्मित हास्य हो जैसे हरित धरा आनन जैसे…
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