संदेश
मेरी विनती सुन माँ अम्बा - गीत - रजनीश तिवारी 'अनपढ़ माशूक़'
हे ज्वाला जगदम्बा मेरी विनती सुन माँ अम्बा हर मुराद कर मेरी पूरी मन्नतें माँ हैं अधूरी माता भैरवी तू रुद्रानी तू है रौद्री संतोषी माँ …
जंगल का दृश्य - कविता - आशीष सिंह
ये लहरें नदी की, पावस की फुहार, ये है कानन का तरुवर, यहाँ शीतल बयार। यहाँ तितलियों का डेरा, फूल खिलते हज़ार, यहाँ चिड़ियों की चह-चह, यह…
उचित सम्मान - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
मातु पिता गुरु श्रेष्ठ को, सदा उचित सम्मान। सच में संजीवन बने, करते जीवन दान॥ सदाचार शिक्षण मिले, शिक्षा नैतिक ज्ञान। मानवीय मूल्यक सद…
मेरी ख़ामोशी - कविता - श्रेया पांडेय
जब एक दिन तन्हा बैठी में, मेरी ख़ामोशी मुझसे बोल उठी, यूँ न तू तन्हा बैठा कर, हर रोज़ मुझे न याद किया कर। कल वो दौर किसी और का था, आज द…
अग्निशिखा - कविता - कुमुद शर्मा 'काशवी'
हाँ मैं अग्निशिखा हूँ ख़्वाहिशों का मंज़र लिए एक आस की ज्योत बन सबके ह्रदय में पलती हूँ। बारिश की बूँदों संग मिल सौंधी ख़ुशबू-सी महकती म…
दूरी - गीत - संजय राजभर 'समित'
कौन कहाॅं है, क्यों कैसा है? ईर्ष्या-डाह से मजबूर है। कोई दूर रहकर पास है, कोई पास रहकर दूर है। लिंग भेद का अभिमान लिए, कर सीना चौड़ा …
महात्मा - कविता - महेश कुमार हरियाणवी
जलते-बिलखते शोलों ने फिर गांधी जी विचारे है। पुनः चले आओ बलधारी जनता शान्ति पुकारे है॥ दधक उठी है सारी धरती मेघ से चलती गोलियाँ। देख स…
तूलिका ने कहा ना लिखूँगी प्रणय - कविता - राघवेंद्र सिंह
तूलिका ने कहा ना लिखूँगी प्रणय, इस प्रणय का समापन तो वैराग्य है। इस प्रणय में बँधे कृष्ण थे राधिका, अंततः राधिका को मिली सिसकियाँ। वेद…
यादों की एक तस्वीर - कविता - प्रवीन 'पथिक'
चाहत तो, जैसा रहा ही नहीं कुछ। ऑंखें यूॅं, बीते लम्हों को याद कर; बुनती है एक तस्वीर। जिसमें तुम हो, मैं हूॅं पंछियों का मधुर संगीत है…
तेरे मन का मैं ही राजा - गीत - संजय राजभर 'समित'
मैं जानता हूॅं राज़ तेरा, खोई-खोई रहती हो। तेरे मन का मैं ही राजा, आँखों से तुम कहती हो। तुझे जाना होता है कहीं, पर, कहीं पहुॅंच जाती ह…
विपदा गढ़ी हुई है - कविता - कोमल 'श्रावणी'
ज़रा आज मैं इठलाती हूँ तुम्हें शौक़ से बतलाती हूँ। रणक्षेत्र की भूमि सजी हुई है, आग ज्वाला रण खड़ी हुई है। झूठे गान गूँज रहे, देखो तो व…
आव्हान - कविता - सुनीता प्रशांत
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥ क्या आशय समझूँ मैं इसका मज़ाक बन रहा मेरे जीवन का हे द…
रच दे पौरुष राष्ट्र हित - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
रचना कविता काकिली, करे वक्त का गान। दशा दिशा सुख दुख यथा, करती कर्म बखान॥ नवप्रभात नव प्रगति पथ, रचो कीर्ति अभिराम। क्या पाया क्या …
श्राद्ध पक्ष की प्रासंगिकता - लेख - सुशील शर्मा | पितृपक्ष पर लेख
यह शब्द 'श्रद्धा' से बना है। ब्रह्म पुराण (उपर्युक्त उद्धृत), मरीचि एवं बृहस्पति की परिभाषाओं से यह स्पष्ट है कि श्राद्ध एवं श…
पूर्वजों को नमन - कविता - आर॰ सी॰ यादव | पूर्वजों पर कविता
नमन वंदन है उन पुरखों को जो छोड़ गए इस माटी को। श्रद्धा सुमन अर्पित करके, जीवित रखें परिपाटी को॥ जिनकी गोद में पले बढ़े हम, आज हमारे ब…
जिस दिन समझ लोगे - गीत - प्रमोद कुमार
जिस दिन समझ लोगे मेरे प्यार को तुम, मज़ा ज़िंदगी का आने लगेगा। आँखों में सपने सजने लगेंगे, नशा बेख़ुदी का छाने लगेगा। अँखियों के रस्ते से…
आपके जन्मदिवस पर - कविता - गिरेन्द्र सिंह भदौरिया 'प्राण' | जन्मदिन पर कविता
वन्दनवारों से सजी आज, वीथी में धूम तुम्हारी है। मंगलकारी हो जन्मदिवस, ऐसी अभिलाष हमारी है॥ दिनरात चौगुनी बढ़ती हो, सम्मान तुम्हारे साथ…
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