संदेश
अजेय - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
हारे क्यों थकान से, डरे क्यों तूफ़ान से। गिर बार-बार सही, फिर भी वार कर सही। राह में अड़चनें सही, हौसला बुलंद कर वही। रुकावटों से ना डर…
टूटे सपनें - कविता - प्रवीन 'पथिक'
टूट गए हृदय के सपनें, हो गया अश्रुमय जीवन। थक गईं आशा चरण के, वीरान पड़ गया मधुबन। चाह की बहती नदी थी, ख़ुशियों के पंख लगे थे। एक होने …
खिड़की - कविता - सूर्यकान्त शर्मा
घर में दीवार का एक ऐसा हिस्सा जिसके दोनों ओर के नज़ारे अलग हैं, बाहर से अंदर का कुछ अपना-सा अंदर से बाहर का सब बिखरा-सा वह एक छोटी-सी ज…
अधूरी कविताएँ - कविता - निखिल 'प्रयाग'
सुनो- तुम्हारी कविताएँ मुझे अधूरी सी क्यों लगती है, अधूरी सी? हाँ अधूरी सी...! जैसे! जैसे उसमें अभी बहुत कुछ है लिखने को; ओह..! मतलब…
म्हारा हरियाणा - गीत - महेश कुमार हरियाणवी
छोटा सा प्रदेश म्हारा न्यारी प्यारी बोली। मिट्टी में दे शीश कमाएँ भर दे, पसीना चोली॥ जंग, प्रेम में जीवित गाथा गीता वाला सार कहाँ था। …
हृदय नयन तरसे ऐ संवरिया - गीत - रजनीश तिवारी 'अनपढ़ माशूक़'
हृदय नयन तरसे ऐ संवरिया लखि छवि तोरी हुई मैं बवरिया हृदय नयन तरसे ऐ संवरिया... प्रेम अमिय बरसे नित सुंदर रूप कनक अति बदन मनोहर सुंदर र…
गीता और ओपेनहाइमर - लेख - प्रतीक झा 'ओप्पी' | भारतीय ज्ञान परम्परा के प्रति ओपेनहाइमर का आदर और वर्तमान सन्दर्भ
भारतीय ज्ञान परम्परा और संस्कृति दुनिया में अपने अद्वितीय दर्शन, सहिष्णुता और आध्यात्मिकता के लिए जानी जाती है। यहाँ की श्रीमद्भगवद् ग…
हम राही अब निकल पड़े - कविता - नंदनी खरे 'प्रियतमा'
लेकर वक्त हाथों में हम राही अब निकल पड़े मंज़िल खासी दूर अभी है महफ़िल काफी चूर अभी है ये दिल भी मजबूर अभी है फिर राहों में निकल पड़े …
कर्कश मत बोलो - मुक्तक - शिव शरण सिंह चौहान 'अंशुमाली'
भले कहीं कोई पथ भूला पर कर्कश मत बोलो, राम लखन सीता माता के जीवन से निज को तोलो। मृदु भाषा के वचनामृत से तुम जीतो दिल पर का– हरो '…
मौसम है हर साल बदलते रहता है - ग़ज़ल - हरीश पटेल 'हर'
मौसम है हर साल बदलते रहता है, जैसे कपटी चाल बदलते रहता है। एक तरह से कब जीवन संगीत बजा, हर पल यह लय ताल बदलते रहता है। गिर जाएगा टूट, …
आस - कविता - मयंक द्विवेदी
जब सुख की बात करे मन तो दुख का ध्यान रहे अवचेतन में चाहे दुख की रजनी हो नभ में फिर भी सुख की आस उगे मन में जब सर सूखे थे तो क्या नन्ही…
कारण पता नहीं - कविता - प्रवीन 'पथिक'
पूरी रात, सो नहीं सका मैं! कारण पता नहीं! शायद! उम्र बढ़ने से नींद प्रायः घटने लगती है। भय मिश्रित चिंता, हावी रहता है मन पर; मेघों की…
पूजन छठ रवि अर्चना - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' | छठ पूजा पर दोहे
पूजन छठ रवि अर्चना, माँगूँ मैं भगवान। कतरा-कतरा रक्त तनु, करूँ राष्ट्र बलिदान॥ पल-पल जीवन दूँ वतन, यत्न देश निर्माण। रखूँ दर्द सम्वेद…
बोल उठे नयन - गीत - अतुल पाण्डेय 'बेतौल'
नैनों ने सुन ली बातें सब, कही जो तुम्हारे नैनों ने, समझी कानों ने भाषा वो, बोली जो तुम्हारे गहनों ने। अरदास तुम्हारे दिल की, पहुँची मे…
उर्मिला का वियोग - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
तुम गए हो दूर जो, प्राण अब तड़प रहे, मेरे हिय में शूल-सा, दर्द है कसक रहे। तुम बिन ये प्रहर सभी, शून्य से प्रतीत हों, नीरहीन मेघ से, न…
भय - कविता - महेश कुमार हरियाणवी
डरने वाले इस दुनिया में, डर के क्या कुछ पाएगा। आसमान है खुला मगर, उड़ने वाला उड़ पाएगा। औजार सभी हैं दुनिया में, पथ ये धुँधला जाते हैं। …
बदनाम गलियाॅं - कविता - संजय राजभर 'समित'
हम बदनाम हैं ठिकाना है बदनाम गलियाॅं क्योंकि हम ग़रीब हैं आप बड़े लोग हैं कुछ शब्द बना लिए हैं "ख़ुश करो" "डेट" &quo…
दीपोत्सव - कविता - डॉ॰ रेखा मंडलोई 'गंगा'
अमावस की काली रात में सबने दीपमालाएँ सजाई, आई दीपावली आई। राजा-राम के स्वागत की घड़ी आई, माता-लक्ष्मी सुख-समृद्धि भर लाई। धारण कर नए-नए…
दीपोत्सव - कविता - महेन्द्र सिंह कटारिया
ऋद्धि सिद्धि सुख सम्पदा, संग में मान प्रतिष्ठा प्यार। लेकर आया जन-जन में, दीपोत्सव का यह त्यौहार। आम्र पल्लव गेंदा पुष्पों की, द्वार च…
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