संदेश
शायद यहाँ अब कोई हमारा नहीं - कविता - मयंक द्विवेदी
(घर के बुज़ुर्गों के मृत्यु हो जाने के बाद घर की स्थिति पर रचना) अब आँगन की चिड़ियों को दाना देता नहीं इन पंछियों को अब कोई खिलाता नहीं …
आत्म विश्लेषण - कविता - बिंदेश कुमार झा
आसमान से पूछी गहराई, सोए समुद्र से उसकी लंबाई। तारों से उनकी गिनती, सूरज से उसकी परछाई। मिला जवाब तब मुझे, जब मैंने अपनी चेतना जगाई। ब…
कर्ण: सूर्यपुत्र की गाथा - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
(यह काव्य कर्ण के जीवन के उतार-चढ़ाव, उनके संघर्ष, त्याग और वीरता की गाथा प्रस्तुत करता है। यह न केवल उनके शौर्य का गुणगान है, बल्कि स…
जाड़े के दिन - नवगीत - अविनाश ब्यौहार
हैं जाड़े के दिन औ' ख़ूब प्यारी लग रही धूप। हैं तृप्त लगते तालाब, कुँए, झील। काला-काला कौआ लगता वकील॥ बेचती चूड़ी-बिंदी मनिहारी– लग…
तुम रहो अज्ञात - कविता - अनमोल
भू-रज पर बन कली उठता बह नीर-नयन निश्छल कहता– बन प्राण बसे मुझमें जो तुम दल-शूल बीच आशा भरता; जीवन में, श्वास में, कण-कण में देते आभा …
रास्ता कोई भी हो - गीत - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
रास्ता कोई भी हो, बस संकल्प लक्ष्य दृढ़ चाहिए। विश्वास अन्तर्मन हो अटल, आश्वस्त श्रम फल चाहिए। निर्मल सदा श्रमजीवी चरित, रण संयम महारथ…
राम-राम - कविता - कर्मवीर 'बुडाना'
इंसानियत के नाते मैं हाथ जोड़ता हूँ, इंसान ग़ैर से भी 'राम-राम' करता हैं। मेरी पेशानी पे कोई हसीं हर्फ़ लिखा हैं, बस उसी के नाम क…
विशेष रचनाएँ
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