संदेश
ज़िम्मेदारी - संस्मरण - सुशील कुमार
एक बार की बात है, जब हमारे स्कूल में वार्षिक उत्सव का आयोजन किया गया। स्कूल के सारे विद्यार्थी ख़ुशी से झूम उठे। हमें भी बहुत ख़ुशी हुई।…
प्रेम - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
प्रेम धरा है, प्रेम गगन है, प्रेम तपन है, प्रेम शयन है। प्रेम श्वास है, प्रेम प्राण है, प्रेम जीवन का संज्ञान है। किरणों जैसा कोमल स्प…
निराकार साकार प्रभु - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
निराकार साकार प्रभु, गुण निर्गुण अस्तित्व। भजे मनुज जिस रूप में, दिखे ईश व्यक्तित्व॥ लीलाधर लीला मधुर, सगुण रूप साकार। नर नारी बहु रूप…
भारत देश की महिमा - कविता - ओम प्रकाश श्रीवास्तव
भारत प्यारे देश के, अनुपम सारे साज। ज्ञान विश्व को बाँटता, यही पुरातन काज। यही पुरातन काज, खोज उत्तम हर करता। फिर सबको यह बाँट, हर्ष स…
एइ भात रे - खोरठा कविता - विनय तिवारी
ने जाइत देखलों, ने पाँइत रे ने दिन देखलों, ने राइत रे हामें तोर लेल की की नॉय करलों एय भात रे! एइ भात रे!! काँटा अइसन छातीं लागल कते ल…
शब्दनाद - कविता - सुशील शर्मा
मेरा कितना ही उपहास करो, मौन नहीं तोड़ूँगा। न अपनी संवेदना को छितराऊँगा, न ही अनुवादों में जीकर, मूल को भूलूँगा। मैं रचूँगा समाज की सृज…
उस रात - कविता - पंकज देवांगन
उस रात अजीब सा नज़ारा देखा मैंने आसमान सूना है चाँद उदास कहीं बैठा है बिना चाँदनी के बेरौनक तारे मुँह लटकाए एक दूसरे को सिर्फ़ ताक रहे ह…
मैं चिल्लाया - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
मैं चिल्लाया। उसने कहा चुप क्यों है। मैं चुप रहा उसने कहा इतना बोलता क्यों है। फिर किसी मज़ार को चादर मिली, शायद कोई दुआ क़ुबूल हुई। वह…
सच - कविता - संजय राजभर 'समित'
सच क्या है जो गणितीय या रासायनिक प्रकृति के अनुरूप है या फिर लोक व्यवहार की आँच पर यथोचित, धर्म युक्त मानवीय व्यवहार है। दो और दो मिल…
आओ बैठो पल-दो-पल - गीत - प्रमोद कुमार
मेरा पहला प्यार तुम्हीं थे, जीवन का आधार तुम्हीं थे, चंपा-कुसुम-चमेली जैसी, मधुमय रस-शृंगार तुम्हीं थे। पर छोटी-सी बात को लेकर जिस दिन…
हे भारत के अमर इन्दु! - कविता - राघवेंद्र सिंह | भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पर कविता
हे भारत के अमर इन्दु! हिन्दी भाषा के युग-चारण। साहित्य पुरोधा, राष्ट्र प्रेम, आधुनिक गद्य के विस्तारण। हो जनक आधुनिक हिन्दी के, तुम पु…
बेहतर प्रतिदिन - कविता - महेन्द्र 'अटकलपच्चू'
बढ़ो और चमको हो सके तो उन्नति लाओ जीवन का पाठ निरन्तर स्मरण दिलाता रहे, हम चट्टान से खोदे गए हैं आकार देने का काम शुरू हो चुका है धीमा …
धर्मयुद्ध - कविता - राजू वर्मा
क्या धर्मयुद्ध मजबूरी थी, हाँ धर्मयुद्ध मजबूरी थी, हाँ धर्मयुद्ध मजबूरी थी। अर्जुन ने भी यह सोचा होगा, कई बार मन को रोका होगा, पर कौरव…
सोचा नहीं था - कविता - प्रवीन 'पथिक'
सोचा भी नहीं था; बचपन की नादानियाॅं, विकराल रूप धारण कर तांडव नृत्य प्रस्तुत करेंगी। जीवन कितना बदल जाएगा! क्षण भर में, यह भी नहीं सोच…
तुम कहो तो सही - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
हम सँवर जाएँगे, तुम कहो तो सही। गीत रच जाएँगे, तुम सुनो तो सही। हम पिघल जाएँगे, तुम छुओ तो सही। ख़ुद को खो देंगे, तुम रुको तो सही। प्रे…
मैं प्रवासी मज़दूर - कविता - राजेश राजभर
भूख से लथपथ– जीवन पथ पर, मिटने को मजबूर, मैं प्रवासी मज़दूर– मेरी आत्मनिर्भरता ख़त्म हो गई! मज़दूरी मौन हों गई! महामारी की हवा विषैली– बद…
वो पाँचवा मैं - कविता - सिद्धार्थ गोरखपुरी
चार जन... ले के अकिंचन सोच अलग कुछ अश्रु सिंचन ऊपर से खुद को ताकता मैं वो पाँचवा मैं... दो को ख़र्चे की चिंता दो को बशर्ते चिंता पाँचव…
इस शहर में - कविता - मयंक द्विवेदी
धूप तो है मगर छाँव नहीं है इस शहर में कोई गाँव नहीं है चलते तो है सब मगर ढाँव नहीं है इस शहर में कोई गाँव नहीं है। ढलती है शाम मगर रात…
इस ज़िंदगानी में कहूँ इतना कमाया आज तक - ग़ज़ल - हरीश पटेल 'हर'
अरकानः मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन तक़ती: 2212 2212 2212 2212 इस ज़िंदगानी में कहूँ इतना कमाया आज तक जो भी लिख…
मंगलमय हो नवल वर्ष यह - गीत - उमेश यादव
नव प्रभात की दिव्य रश्मियाँ, जगती का कल्याण करे। मंगलमय हो नवल वर्ष यह, नवल विश्व निर्माण करें॥ युद्ध विभीषिका ने इस जग में, हाहाकार…
नव वर्ष नव संकल्प - गीत - सुशील कुमार
नूतन प्रभात नूतन किसलय, नूतन रश्मियों का डेरा हो, नूतन हैं वर्ष दिवस नूतन, नूतन ख़ुशियों का बसेरा हो॥ जो भी है टीस विगत क्षण की, उन सबक…
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