संदेश
अवसाद - कविता - अमित राज श्रीवास्तव 'अर्श'
स्मृतियाँ क्षीण होती दृष्टि में, जैसे सांध्य की लालिमा जल में समा जाती है, हर आकांक्षा, हर स्वप्न, तृण-तुल्य हो बिखर गया है। आशा, जो क…
फिरती घिरती छाया - कविता - कर्मवीर 'बुडाना'
जिसे भी हैं अपना उल्लू सीधा करना, वो दिखाएगा हमें कोई फ़रेबी सपना। बड़ा इल्म हैं ये वक़्त भरोसे का नहीं, रिश्तों में न रहा दम, टूटा हर अप…
आओ कुल्हड़ में चाय पीते हैं - ग़ज़ल - समीर द्विवेदी नितान्त
आओ कुल्हड़ में चाय पीते हैं चन्द लम्हें सुकूँ के जीते हैं क्या बताएँ ए दोस्त तेरे बिन सारे लम्हात रीते-रीते हैं रम औ' व्हिस्की तुम…
समझ नहीं सका - कविता - प्रवीन 'पथिक'
समझ नहीं सका मैं, रिश्तों की बुनियाद का आधार! ऑंखों से बहता प्रेम या अंतःकरण से उमड़ता सागर। अन्यमनस्क सा सोचता हूॅं; प्रेम अभिव्यक्ति…
मेरे दिल की बस्ती में - गीत - रमाकांत सोनी 'सुदर्शन'
फ़ुर्सत हो तो आ जाना तुम मेरे दिल की बस्ती में। मैं राही हूँ बहारों का तुम बैठ जाना मेरी कश्ती में। मेरे दिल की बस्ती में मधुर तराने गी…
जीवन की फिर नई किरण है - कविता - राजू वर्मा
जीवन की फिर नई किरण है, कुछ कामयाबी के सपने हैं, हर दिन संघर्ष भरा है, राहों में कुछ अपने हैं, गिर कर चलना चलकर गिरना, जीवन की बस राह …
अंतरंग - कविता - विक्रांत कुमार
बावला मन ने एक संबंध गढ़ा जैसे राख की ढेर पर चूसे हुए आम की गुठली का अंकुर नया डंठल बन उग आता है लालच के अंतरंग में! अपार जटिलताओं को …
युवा दिवस - दोहा छंद - ओम प्रकाश श्रीवास्तव
युवा दिवस है मन रहा, हिन्द देश में आज। संत विवेकानंद का, जन्मदिवस मय साज॥ गर्व सन्त पर कर रहे, भारतवासी आज। इसी सन्त ने हिन्द की, रखी …
ज़िम्मेदारी - संस्मरण - सुशील कुमार
एक बार की बात है, जब हमारे स्कूल में वार्षिक उत्सव का आयोजन किया गया। स्कूल के सारे विद्यार्थी ख़ुशी से झूम उठे। हमें भी बहुत ख़ुशी हुई।…
प्रेम - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
प्रेम धरा है, प्रेम गगन है, प्रेम तपन है, प्रेम शयन है। प्रेम श्वास है, प्रेम प्राण है, प्रेम जीवन का संज्ञान है। किरणों जैसा कोमल स्प…
निराकार साकार प्रभु - दोहा छंद - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'
निराकार साकार प्रभु, गुण निर्गुण अस्तित्व। भजे मनुज जिस रूप में, दिखे ईश व्यक्तित्व॥ लीलाधर लीला मधुर, सगुण रूप साकार। नर नारी बहु रूप…
भारत देश की महिमा - कविता - ओम प्रकाश श्रीवास्तव
भारत प्यारे देश के, अनुपम सारे साज। ज्ञान विश्व को बाँटता, यही पुरातन काज। यही पुरातन काज, खोज उत्तम हर करता। फिर सबको यह बाँट, हर्ष स…
एइ भात रे - खोरठा कविता - विनय तिवारी
ने जाइत देखलों, ने पाँइत रे ने दिन देखलों, ने राइत रे हामें तोर लेल की की नॉय करलों एय भात रे! एइ भात रे!! काँटा अइसन छातीं लागल कते ल…
शब्दनाद - कविता - सुशील शर्मा
मेरा कितना ही उपहास करो, मौन नहीं तोड़ूँगा। न अपनी संवेदना को छितराऊँगा, न ही अनुवादों में जीकर, मूल को भूलूँगा। मैं रचूँगा समाज की सृज…
उस रात - कविता - पंकज देवांगन
उस रात अजीब सा नज़ारा देखा मैंने आसमान सूना है चाँद उदास कहीं बैठा है बिना चाँदनी के बेरौनक तारे मुँह लटकाए एक दूसरे को सिर्फ़ ताक रहे ह…
मैं चिल्लाया - कविता - हेमन्त कुमार शर्मा
मैं चिल्लाया। उसने कहा चुप क्यों है। मैं चुप रहा उसने कहा इतना बोलता क्यों है। फिर किसी मज़ार को चादर मिली, शायद कोई दुआ क़ुबूल हुई। वह…
सच - कविता - संजय राजभर 'समित'
सच क्या है जो गणितीय या रासायनिक प्रकृति के अनुरूप है या फिर लोक व्यवहार की आँच पर यथोचित, धर्म युक्त मानवीय व्यवहार है। दो और दो मिल…
आओ बैठो पल-दो-पल - गीत - प्रमोद कुमार
मेरा पहला प्यार तुम्हीं थे, जीवन का आधार तुम्हीं थे, चंपा-कुसुम-चमेली जैसी, मधुमय रस-शृंगार तुम्हीं थे। पर छोटी-सी बात को लेकर जिस दिन…
हे भारत के अमर इन्दु! - कविता - राघवेंद्र सिंह | भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पर कविता
हे भारत के अमर इन्दु! हिन्दी भाषा के युग-चारण। साहित्य पुरोधा, राष्ट्र प्रेम, आधुनिक गद्य के विस्तारण। हो जनक आधुनिक हिन्दी के, तुम पु…
बेहतर प्रतिदिन - कविता - महेन्द्र 'अटकलपच्चू'
बढ़ो और चमको हो सके तो उन्नति लाओ जीवन का पाठ निरन्तर स्मरण दिलाता रहे, हम चट्टान से खोदे गए हैं आकार देने का काम शुरू हो चुका है धीमा …
धर्मयुद्ध - कविता - राजू वर्मा
क्या धर्मयुद्ध मजबूरी थी, हाँ धर्मयुद्ध मजबूरी थी, हाँ धर्मयुद्ध मजबूरी थी। अर्जुन ने भी यह सोचा होगा, कई बार मन को रोका होगा, पर कौरव…
सोचा नहीं था - कविता - प्रवीन 'पथिक'
सोचा भी नहीं था; बचपन की नादानियाॅं, विकराल रूप धारण कर तांडव नृत्य प्रस्तुत करेंगी। जीवन कितना बदल जाएगा! क्षण भर में, यह भी नहीं सोच…
तुम कहो तो सही - कविता - चक्रवर्ती आयुष श्रीवास्तव
हम सँवर जाएँगे, तुम कहो तो सही। गीत रच जाएँगे, तुम सुनो तो सही। हम पिघल जाएँगे, तुम छुओ तो सही। ख़ुद को खो देंगे, तुम रुको तो सही। प्रे…
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